Saturday, November 10, 2012

राजपथ पर साधु

राजपथ पर साधु
एक मुस्लिम लड़के की कहानी जिसे हालात ने साधु  बना दिया और उसकी महत्वाकांक्षा ने राजनैतिक दल के साथ साठ-गाँठ कर राज्य की सत्ता केंद्र। 
लेकिन जब उसके  मुस्लिम होने की बात खुली तब सब कुछ बदल गया !!!!!!!!!!!!!



राजपथ पर साधु  बहुत सारे राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर बात करती है उसमें से कुछ अंश यहाँ दिए गए है 


धर्मं के महत्व के बारे में धर्म पर बात की जाए, उसका पालन किया जाए, उसे जीवन में उतरा जाए, अगर  

कुछ अच्छा ना लगे  उसकी बुराई  की जाए लेकिन किसी एक धर्म के समर्थक होने के नाते किसी दूसरे धर्म के  
लोगो की जान ले लेना या उनके घर जला देना , यह  दुनिया के किसी भी धर्म के  अनुरूप नही है|  जब दुनिया  
कर्म से चलती है तो फिर धर्म क्यों इस दुनिया का मालिक बना बैठा है| क्यों धर्म के आगे, इंसान और  

इंसानियत छोटी हो जाती है|  

जातिवाद के बारे में : यह हमारे देश का सच है की यहाँ जिन लोगो के पीछे सिर्फ़ एक जाति के लोग थे वह  

अपने जाति धर्मो के देवता बन गये| तीज त्यौहार और शादी विवाह के अवसर पर उनके गीत गाये  जाते है  

उनके उनके नाम पर बड़े बड़े स्मारक और पार्क बन गये| शहरो और जिलो के नाम उनके नाम पर रख दिए  
गये| लोग उनके अंधभक्त है, जबकि  सबके उत्थान , जात धर्म से ऊपर उठकर मानवता की बात करने वाले   
को राष्ट्रपिता बनाया जा सकता है  नोट  पर उनकी फोटो छाप कर उन्हें सम्मान दिया जा सकता है उन्हें हर  
किसी तक पहुँचाया जा सकता है लेकिन हर दिल में उनके लिए स्वीकृति नही पैदा की जा सकती| 


लोकतंत्र के बारे में : लोकतंत्र वोट और सोच का खेल है जिसने सोच को कब्ज़ा लिया उसने वोट को पा लिया|  


करता कोई साला कुछ नहीं है देश को  IS  और IPS चलाते  है| नेता तो उनके किये काम पर अपने ठप्पे लगाते  
है


मुस्लिमों  के पिछड़ेपन के बारे में:  हर नेता, हर सरकार हमारी क़ौम  के पिछड़ेपन और गरीबी का राग   

अलापते है शिक्षा की  बात कोई नहीं करता| पैसा हमारे लोगो के पास बहुत है लेकिन शिक्षित ना होने कि  

वजह से उसका इस्तेमाल सही ढंग से नहीं होता|

अलग अलग धर्मो के बारे में:  हर धर्मं का अपना महत्व है हर धर्मं जीवन जीने का सलीका है और अगर अलग  
अलग लोगो को अलग सलीके पसंद है तो इसमें गलत क्या है ? इंसान किसी भी धर्मं से जुड़ कर भला हो  

सकता है सर्वधर्म पूरे समाज के भले होने की गारेंटी तो नहीं है|



विधवा औरत के बारे में:    औरत दुनिया में, हल में  जोते जाने के लिए पैदा नहीं होती। औरत की शोभा 

कोख-मांग से होती है| मेरे बेटे को खा कर भी तू अगर मेरे आंगन को एक औलाद दे देती तो भी मैं तुझे  
अपने सीने से लगा कर रखती। सूनी कोख, सूनी मांग तुझ रांड-बाँझ का मैं  क्या करुँगी। निकल जा मेरे घर

से ।


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